JAI MEHER BABA I am the dust in HIS feet. HE is my spiritual master who has given me even that what I don't deserve. HE is merciful and benevolent. My poems are for HIM and uttered by HIM. I am just a medium. May Baba bless ALL. JAI BABA
Tuesday, June 15, 2010
मेहेर नाम की शान
दरबार-ए-मेहेर की शान का,
कैसे करुँ बखान,
जहाँ शब्दों की भी सीमा है,
ऐसा है इक आसमान|
जहाँ प्रकृति भी करती है सजदा,
पर्वत भी होते हैं नतमस्तक,
उस हुज़ूर-ए-अकरम मेहेर की,
नदियाँ भी करती हैं इबादत|
चलो चलें देखने एक झलक,
अपने उस प्रियतम की,
करुणामय करुणा की मूर्ति की,
उस परमपिता की|
सहज भाव से जाना, उस
कृपानिधान के पास,
सराबोर होगे, करुणारस से,
न रहेगी कोई आस|
शीरीं के लाल का वो,
दिव्य स्थल, महसूस होती है,
उस दयानिधि की,
उपस्थिति प्रतिपल|
जब चाहेगा, बुला लेगा,
तुम्हे अपने पास,
लबों पर हो नाम हमेशा,
हो इसी नाम की प्यास|
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